Thursday, September 16, 2021

सुकून की छाँव ....

थक गया हूँ  चलते चलते,
अब थोड़ा ठहराव चाहता हूँ !

ज़िन्दगी की तपती धूप में, 
सुकून की छाँव चाहता हूँ !!

रिश्तो की भीड़ भाड़ में,
एक रिश्ता ख़ास चाहता हूँ !

ना जाने कितने लम्हे हैं ज़िन्दगी में,
कुछ लम्हे बेपरवाह चाहता हूँ !!

संकलनकर्ता :-  शान्तिलाल सोनी

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